राजस्थान के सवाई माधोपुर-कोटा रेलवे ट्रैक हुआ कवच 4.0 सुविधा से लैस, जानिए कैसे लगेगी रेल हादसों में लगाम
Kavach 4.0: रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव ने मंगलवार को भारतीय रेल द्वारा राजस्थान में 108 किलोमीटर लंबे कोटा-सवाई माधोपुर रेल खंड पर अत्याधुनिक स्वचालित सुरक्षा कवच 4.0 सिस्टम को लॉन्च किया.
Kavach 4.0: रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव ने मंगलवार को भारतीय रेल द्वारा राजस्थान में 108 किलोमीटर लंबे कोटा-सवाई माधोपुर रेल खंड पर अत्याधुनिक स्वचालित सुरक्षा कवच 4.0 सिस्टम को लॉन्च किया. Kavach 4.0 की स्थापना से जहां रेल हादसों में कमी आएगी और पैसेंजर्स की सुरक्षा में बढ़ोतरी होगी, वहीं ट्रेनों की ऑपरेशन दक्षता में सुधार होगा.
क्या है कवच प्रणाली?
कवच (भारतीय रेलवे स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली) पूरी तरह से भारत में बनी सुरक्षा प्रणाली है. यह एक डिवाइस है, जो ट्रेन के इंजन के अलावा रेलवे के रूट पर भी लगाई जाती है. दो ट्रेनों की टक्कर को रोकने का काम करता है. यह रफ्तार को नियंत्रित रखता है और सिग्नल पासिंग और डेंजर स्थिति को रोकता है. जिसके कारण आमने-सामने, पीछे से और साइड से टकराव की स्थिति का पता लगाकर रोकता है और टकराव होने से 3 किलोमीटर पहले ट्रेन रूक जाएगी.
भारतीय रेल द्वारा राजस्थान में 108 किलोमीटर लंबे कोटा-सवाई माधोपुर रेल खंड पर अत्याधुनिक स्वचालित सुरक्षा कवच 4.0 प्रणाली स्थापित की गई।#BharatKaKavach4 pic.twitter.com/acfVAHUUxb
— Ministry of Railways (@RailMinIndia) September 24, 2024
कैसे रफ्तार को कंट्रोल करता है कवच?
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ट्रेन की अनुमानित रफ्तार (130 किमी प्रति घंटा) से 2 किमी प्रति घंटा अधिक हो, तो कवच अलार्म बजाता है. ट्रेन की गति अनुमत सीमा से 5 किमी प्रति घंटा अधिक है तो सामान्य ब्रेकिंग होगी. इससे ट्रेन की रफ्तार कम हो जाएगी. वहीं, अगर ट्रेन की गति अनुमानित सीमा से 7 किमी प्रति घंटा अधिक है तो पूरे ब्रेक लग जाएंगे. ट्रेन की गति अनुमत सीमा से 9 किमी प्रति घंटा अधिक है तो आपातकालीन ब्रेक लगेंगे.
भारतीय रेल की अत्याधुनिक स्वचालित सुरक्षा प्रणाली कवच 4.0 की स्थापना से जहां रेल संरक्षा में बढ़ोतरी होगी, वहीं ट्रेनों की परिचालन दक्षता में सुधार होगा।#BharatKaKavach4 pic.twitter.com/s1ULh6DUVA
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रेलवे ने बिछाई ऑप्टिकल फाइबर केबल
कवच 4.0 के लिए रेलवे ने 130 टावर की स्थापित किए है. इसके लिए ऑप्टिकल फाइबर केबल बिछाई गई. इस ट्रैक पर 78 कवच भवन का निर्माण किया गया है. यहां 178 सिग्नलिंग इंटरफेस और एक एसपीएलएस नेटवर्क का निर्माण किया गया.
कैसे काम करता है कवच?
स्टेशन पर लगी हुई इंटरलॉकिंग से अगले सिग्रल को पढ़ कर उसके सीधे इंजन में प्रदर्शित करता है. इससे चालक 160 किमी/घंटे की रफ्तार पर भी सिग्ग्रल पढ़ सकता है.
चालक पर निगरानी रखता है कवच
कवच सिस्टम ट्रेन के सफर में लगातार आदर्श ड्राइविंग प्रोफाइल और ब्रेकिंग की गणना करता चलता है. जब तक चालक दल इस आदर्श ड्राइविंग प्रोफाइल के अनुरूप ट्रेन संचालित करते हैं, तब तक कवच कुछ नहीं करता है. लेकिन जैसे ही चालक दल से कुछ भूल होती है और ट्रेन आदर्श संचालन की सीमाओं से बाहर जाता है, तो कवच ऑटोमेटिक ब्रेक से ट्रेन को सुरक्षित दूरी पर रोक लेता है.
2016 में शुरू हुआ था ट्रायल
- मोदी सरकार में यात्री ट्रेनों पर पहला फील्ड ट्रायल फरवरी 2016 में शुरू किया गया था.
- 2018-19 में कवच के लिए तीन फर्मों को मंजूरी दी गई थी.
- जुलाई 2020 में कवच को राष्ट्रीय प्रणाली के रूप में अपनाया गया.
- कवच को अब तक दक्षिण मध्य रेलवे पर 1465 किमी रूट और 139 इंजनों पर तैनात किया गया है.
- कवच सिस्टम पर इंटरलॉकिंग लगाई गई कवच सिस्टम पर इंटरलॉकिंग लगाई गई है.
- जिससे अगले सिग्नल को पढ़कर उसके आस्पेक्ट को रेडियो तरंगों के माध्यम से सीधे इंजन में प्रदशित कर देगा.
- जिससे 160 किमी की रफ्तार में पायलट को सिग्नल पढ़ने में सुविधा होगी.
- उसे लाइन पर लगे सिग्नल पर निर्भर नहीं होना पड़ेगा.
05:47 PM IST